
कई दफे इनकार ही इकरार का इशारा होता है. महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार के साथ आने की चर्चाओं के बीच अब पवार परिवार के भी फिर से एक हो जाने की संभावना जताई जाने लगी है - और वो खास वक्त भी बेहद करीब आ चुका है.
10 जून को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का स्थापना दिवस होता है. और, इस बार एनसीपी के दोनों पक्ष पुणे में ही अपना अपना स्थापना दिवस मनाने जा रहे हैं.
ये सब ऐसे दौर में हो रहा है जब महाराष्ट्र की राजनीति में खूब उथल पुथल महसूस की जा रही है. ये सब होने का सीधा असर तो महाविकास आघाड़ी पर ही लगता है, लेकिन, जाहिर है, महाराष्ट्र में सत्ताधारी गठबंधन महायुति भी अछूता नहीं रहने वाला है.
हाल फिलहाल कई ऐसे मौके आये हैं जहां शरद पवार और अजित पवार की मुलाकात हुई है. परिवार और पार्टी के फिर से एक होने की संभावनाएं जताये जाने की वजह भी यही है. हालांकि, औपचारिक तौर पर ऐसी बातों से इनकार भी किया जा रहा है - लेकिन ऐन उसी वक्त घटनाक्रम और बातें ऐसी भी होती हैं, जो संभावनाओं को अटकलें बताने वालों के बयान कुछ देर के लिए गुमराह करने वाले लगते हैं.
शिवसेना के स्थापना समारोह में तो कई बार टकराव जैसी नौबत भी देखी गई है. एक बार तो ग्राउंड की दावेदारी को लेकर भी बहुत कुछ हो चुका है. और, समारोह के मंच से उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे एक दूसरे को ललकारते और फुफकारते सुने गये हैं - लेकिन एनसीपी के स्थापना दिवस समारोह से तो लोग खुशखबरी आने का इंतजार कर रहे हैं.
समारोह का इलाका तो एक ही है, लेकिन जगह जगह अलग अलग है. कॉमन बात बस यही है कि दोनों पक्षों ने समारोह के लिए शरद पवार के होम टाउन पुणे को ही चुना है.
शरद पवार जहां शिवाजीनगर के बाल गंधर्व रंग मंदिर में अपने समर्थकों के साथ सेलीब्रेट करेंगे, अजित पवार बालेवाड़ी के श्री छत्रपति शिवाजी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में अपने साथियों से मन की बात करेंगे.
बड़ा सवाल अब यही है भतीजा चाचा के साथ आएगा या उलटी गंगा बहेगी, या फिर शरद पवार MVA के साथ इंडिया ब्लॉक में ही बने रहेंगे?
स्थापना दिवस पर क्या परिवार और पार्टी एक होने जा रही है?
लंबे समय तक कांग्रेस की राजनीति के बाद 10 जून, 1999 को शरद पवार ने एनसीपी की स्थापना की थी, जो जुलाई 2023 में टूट गई. अजित पवार ने शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी, और चुनाव आयोग ने भी उनके हिस्से वाली पार्टी को ही असली एनसीपी की मान्यता दे दी.
तब शरद पवार को पीए संगमा और तारिक अनवर का भी साथ मिला था. संगमा तो रहे नहीं, और तारिक अनवर बाद में कांग्रेस में लौट गये. तब शरद पवार को कांग्रेस से निकाल दिया गया था, क्योंकि वो सोनिया गांधी के खिलाफ विदेशी मूल को मुद्दा बना कर विरोध कर रहे थे.
एनसीपी टूटने के बाद हुए लोकसभा चुनाव 2024 में अजित पवार के मुकाबले शरद पवार फायदे में रहे, लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शरद पवार को काफी नुकसान हुआ - और अब सबकी नजर बीएमसी और स्थानीय निकाय चुनाव पर टिकी है.
शरद पवार के मन में क्या चल रहा है?
लोकसभा और विधानसभा चुनावों में दोनों गुट आमने सामने की टक्कर में बुरी तरह भिड़े हुए थे. दोनों तरफ से एक दूसरे को शिकस्त देने की एक जैसी कोशिशें हुईं - और आखिरकार हिसाब बराबर रहा.
लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले के खिलाफ अजित पवार ने पत्नी सुनेत्रा पवार तक को मैदान में उतार दिया था, और बिल्कुल वैसा ही शरद पवार ने विधानसभा चुनाव में अजित पवार के खिलाफ घेरेबंदी की थी, लेकिन अजित पवार ने भी अपनी सीट बचा ली.
सुनने में आ रहा है कि विधानसभा चुनाव के बाद से ही शरद पवार पर समर्थक नेता दबाव बना रहे हैं. ये दबाव भी दो तरह के हैं. एक, शरद पवार के हिस्से वाली पार्टी का अजित पवार की एनसीपी में ही विलय कर दिया जाये, या फिर इंडिया ब्लॉक और MVA छोड़कर शरद पवार भी सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा बन जायें.
पहले भी कई बार ऐसी चर्चाएं हुई हैं, जिसमें सुप्रिया सुले के पूरी तरह केंद्र की राजनीति में चले जाने की व्यवस्था की बात हो चुकी है, लेकिन अब तक बात नहीं बन सकी है?
स्थापना दिवस समारोहों से पहले सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि आखिर सीनियर पवार के मन में चल क्या रहा है?
क्योंकि, पहलगाम अटैक और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाये जाने की मांग का शरद पवार ने खुलेआम विरोध किया है. सुप्रिया सुले भी विदेश दौरे पर गये सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनी हैं. शरद पवार मान चुके हैं कि पार्टी में दो तरह के विचार चल रहे हैं, और कह चुके हैं कि फैसला इस बार उनकी बेटी सुप्रिया सुले को लेना है.
मृगांक शेखर