प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान के बीकानेर पहुंचे. देशनोक में करणी माता मंदिर में शक्तिपूजा की. यहां से नाल एयरबेस जाएंगे, जवानों से मिलेंगे. ये वही एयरबेस हैं जहां से भारतीय फाइटर जेट्स ने उड़ान भरकर पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को तबाह किया था. आइए, इस खबर और इसके पीछे की पूरी कहानी को समझते हैं...
पीएम मोदी का बीकानेर दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशनोक के प्रसिद्ध करणी माता मंदिर गए, जहां उन्होंने पूजा-अर्चना की. करणी माता को शक्ति और योद्धाओं की देवी माना जाता है. इस पूजा को भारत की ताकत और जीत का प्रतीक माना जा रहा है. देशनोक रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया और पालना गांव में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया. उन्होंने 26,000 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण भी किया. इस दौरे को रणनीतिक और प्रतीकात्मक रूप से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
ऑपरेशन सिंदूर क्या था?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सेना का एक बड़ा सैन्य अभियान था, जो 6 और 7 मई 2025 को हुआ. यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था. 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया था, जिसमें एक नेपाली नागरिक समेत 27 लोग मारे गए थे. इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने ली थी.
इसके जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया. 7 मई की रात नाल एयरबेस से भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स ने उड़ान भरी और पाकिस्तान के बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय को निशाना बनाया. इस हमले में जैश के 9 आतंकी ठिकाने तबाह हो गए. 100 से ज्यादा आतंकियों की मौत हुई. जैश के सरगना मसूद अजहर ने कहा कि उसके परिवार के 10 सदस्य और 4 सहयोगी मारे गए.
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नाल एयरबेस की भूमिका
नाल एयरबेस बीकानेर में स्थित है. पाकिस्तान सीमा से सिर्फ 150 किलोमीटर दूर है. यह भारत की पश्चिमी सीमा की सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है. यहां से ही भारतीय फाइटर जेट्स ने उड़ान भरकर बहावलपुर में जैश के ठिकानों पर मिसाइलें दागी थीं. नाल एयरबेस पर वायुसेना के HAL तेजस MK.1A फाइटर जेट्स तैनात हैं, जिन्हें ‘कोबरा’ स्क्वाड्रन कहा जाता है. पहले यहां मिग-21 बाइसन जेट्स भी रहते थे.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने सिर्फ 20-25 मिनट में सटीक हमले किए. इन हमलों की सटीकता और रफ्तार ने पाकिस्तान को हैरान कर दिया. जवाब में पाकिस्तान ने नाल एयरबेस पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय वायुसेना ने अपने मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम से इन हमलों को नाकाम कर दिया. ड्रोन और मिसाइलों के मलबे बीकानेर के आसपास बिखरे मिले.
पीएम मोदी ने क्या कहा?
इससे पहले 13 मई को पंजाब के आदमपुर एयरबेस में जवानों से मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि जब हमारी बहनों-बेटियों का सिंदूर छीना गया, तो हमने आतंकियों के फन को उनके घर में घुसकर कुचल दिया. हमने 9 आतंकी ठिकाने तबाह किए और 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया.
पाकिस्तान में ऐसा कोई ठिकाना नहीं, जहां आतंकी चैन से रह सकें. हम घर में घुसकर मारेंगे. उनकी यह यात्रा उस जगह से सिर्फ 40 किलोमीटर दूर है, जहां जैश का मुख्यालय तबाह हुआ था. इसे भारत की ताकत और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का प्रतीक माना जा रहा है.
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पाकिस्तान का झूठा दावा
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने नाल एयरबेस पर ड्रोन हमले किए और इसे तबाह कर दिया. लेकिन यह दावा झूठा था. पीएम मोदी ने अपने दौरे से इस झूठ को बेनकाब कर दिया. नाल एयरबेस पूरी तरह सुरक्षित है. यहां से भारतीय वायुसेना लगातार अपनी ताकत दिखा रही है.
करणी माता मंदिर में शक्तिपूजा क्यों?
देशनोक का करणी माता मंदिर शक्ति और योद्धाओं की देवी का प्रतीक है. बीकानेर के लोग करणी माता को अपनी रक्षक मानते हैं. पीएम मोदी ने यहां पूजा कर देश की सुरक्षा और जीत की कामना की. इसे सांस्कृतिक और रणनीतिक रूप से बहुत अहम माना जा रहा है. यह पूजा भारत की ताकत और आतंकवाद के खिलाफ उसकी मजबूत नीति को दर्शाती है.
बीकानेर के लिए और क्या खास?
पीएम मोदी ने बीकानेर में कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत की. उन्होंने देशनोक रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया, जो अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत बनाया गया है. इसके अलावा, बीकानेर-मुंबई एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई, जो सप्ताह में एक बार चलेगी. 1,213 किलोमीटर की दूरी 22 घंटे में तय करेगी. 18 राज्यों के 86 जिलों में 1,100 करोड़ रुपये की लागत से बने 103 अमृत भारत स्टेशनों का भी वर्चुअल उद्घाटन हुआ.
ऑपरेशन सिंदूर का असर
ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की सख्त नीति को दुनिया के सामने रखा. इस ऑपरेशन ने न सिर्फ जैश-ए-मोहम्मद को बड़ा नुकसान पहुंचाया, बल्कि पाकिस्तान को भी साफ संदेश दिया कि भारत आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा. पीएम मोदी ने कहा कि यह युग युद्ध का नहीं है, लेकिन आतंकवाद का भी नहीं. आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस ही बेहतर दुनिया की गारंटी है.
नाल एयरबेस का इतिहास
नाल एयरबेस की शुरुआत 1942 में हुई थी, जब अंग्रेजों ने यहां एक कच्चा रनवे बनाया था. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इसे छोड़ दिया गया. बाद में इसे भारतीय वायुसेना ने अपने कब्जे में लिया. आज यह एयरबेस वायुसेना के लिए एक महत्वपूर्ण ट्रेनिंग और ऑपरेशन सेंटर है.