
भारत 2025 के अंत तक दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है. लेकिन सवाल यह है कि क्या देश बेरोजगारी की समस्या को उतनी ही अच्छी तरह संभाल पा रहा है? इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) की अप्रैल 2025 की वर्ल्ड इकनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में दिखाया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है और साथ ही देश में बेरोजगारी भी कम हो रही है. इतना ही नहीं, इस मामले में भारत ब्राजील, चीन, कनाडा, इटली, फ्रांस जैसे देशों से बेहतर स्थिति में है.
जीडीपी में भारत की स्थिति
भारत में बेरोजगारी
144 करोड़ की आबादी के साथ दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश भारत लगातार अपनी बेरोजगारी दर को कम कर रहा है. साल 2018 में जहां बेरोजगारी दर 8.9% थी, वहीं 2024 में यह लगभग आधी होकर 4.9% पर आ गई. खास बात यह है कि IMF के अनुमान सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के आंकड़ों से मेल खाते हैं.
बेरोजगारी की बात तब तक पूरी नहीं होती, जब तक हम श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) को न देखें. अगर लोग नौकरी की तलाश छोड़ देते हैं, तो बेरोजगारी दर अपने आप कम हो जाती है लेकिन भारत के मामले में ऐसा नहीं है. भारत की LFPR भी बढ़ रही है, यानी अधिक लोग नौकरी की तलाश में श्रम बाजार में आ रहे हैं और उन्हें नौकरियां भी मिल रही हैं. यह दर 2018 में 48.4% थी, जो 2024 में बढ़कर 56.4% हो गई.
बेरोजगारी दर और LFPR
बेहतर होती रोजगार स्थिति के साथ भारत अपने कई समकक्ष देशों से आगे है. भारत की बेरोजगारी दर 4.9% के मुकाबले, दक्षिण अफ्रीका में 32.8%, स्पेन में 11.4%, तुर्की में 8.7%, फ्रांस में 7.4%, ब्राजील में 6.9%, कनाडा में 6.4%, और चीन में 5.1% है.
विश्व बेरोजगारी दर का नक्शा
इस बीच, सरकार ने छोटे और मध्यम उद्यमों (MSME) को रोजगार सृजन का सबसे बड़ा स्रोत माना है और हाल के वर्षों में केंद्रीय बजट में MSME के लिए समर्थन बढ़ाया है. MSME मंत्रालय ने इस साल के केंद्रीय बजट के बाद कहा कि अपने आर्थिक योगदान के अलावा, इन MSME ने 25.18 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार दिया है. इतने बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन इस क्षेत्र की आर्थिक विकास और सामाजिक स्थिरता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है. MSME मंत्रालय का बजट आवंटन वित्त वर्ष 2020 में 7,011 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 17,307 करोड़ रुपये हो गया.