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AAP का ‘बिहार में भी केजरीवाल’ कैंपेन क्या दिल्ली चुनाव से जुड़ा कोई माफी अभियान है?

आम आदमी पार्टी ने 'बिहार में भी केजरीवाल' कैंपेन के माध्यम से दिल्ली के पूर्वांचली वोटर से फिर से कनेक्ट होने की कोशिश शुरू की है. दिल्ली की झुग्गी बस्ती में हुई तोड़फोड़ को बिहार में मुद्दा बनाने की तैयारी है, ताकि आने वाले दिल्ली चुनाव में भी फायदा उठाया जा सके.

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अरविंद केजरीवाल का बिहार चुनाव प्लान तो कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना जैसा ही लगता है.
अरविंद केजरीवाल का बिहार चुनाव प्लान तो कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना जैसा ही लगता है.

आम आदमी पार्टी का एक नया नारा सामने आया है, 'जिन लोगों ने दिल्ली से बिहारियों को भगाया है, उस बीजेपी को बिहार से बिहारी लोग भगाएंगे.'

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बिहार चुनाव को ध्यान में रखकर ये नारा बड़ा ही सोच समझकर गढ़ा गया है. ये नारा दिल्ली और पूर्वांचल यानी यूपी-बिहार के लोगों को एक साथ कनेक्ट भी कर रहा है. और, ये डबल बेनिफिट स्कीम जैसा है. दिल्ली का फायदा बिहार में, और बिहार का फायदा आने वाले दिनों में दिल्ली में.

अरविंद केजरीवाल चूंकि पंजाब में डेरा डाले हुए हैं, और गुजरात भी अप-डाउन कर रहे हैं, ऐसे में दिल्ली का मोर्चा संभाल रहे सौरभ भारद्वाज आम आदमी पार्टी को चर्चा में बनाये रखने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. हाल ही में दिल्ली की झुग्गी बस्ती मद्रासी कैंप में एक सरकारी अभियान के तहत तोड़फोड़ हुई थी. मौका देखकर सौरभ भारद्वाज ने राज्यसभा सांसद संजय सिंह के साथ प्रभावित इलाके में पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया है, और कहा है कि आम आदमी पार्टी ये मुद्दा संसद में उठाएगी, और सबसे बड़ी बात इसे लेकर पटना में धरना भी देगी.

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बताते हैं कि झुग्गी बस्ती में सरकारी एक्शन से विस्थापित लोगों में से कई यूपी और बिहार से ही हैं - संसद में मुद्दा उठाने के साथ ही पटना में आम आदमी पार्टी के प्रस्तावित धरने का मकसद दिल्ली की बीजेपी सरकार के एक्शन को लेकर बिहार के लोगों का ध्यान खींचना है. 

पंजाब में केजरीवाल और बिहार में AAP की चुनावी तैयारी

अरविंद केजरीवाल के दिल्ली में सरकार बनाने, सत्ता में वापसी और सत्ता से विदाई - हमेशा ही दिल्ली में रह रहे पूर्वांचल के लोगों की खास भूमिका रही है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार चूक गई आम आदमी पार्टी के नेता एक बार फिर पूर्वांचल के लोगों से संपर्क कर रहे हैं. 

पूर्वांचल के लोगों को आम आदमी फिर से समझाने की कोशिश कर रही है कि अरविंद केजरीवाल ने उनके लिए क्या क्या किया है, जो दिल्ली की मौजूदा बीजेपी सरकार नहीं कर रही है. और इतना ही नहीं, आम आदमी पार्टी पूर्वांचल के लोगों से अपने घरवालों को समझाने की अपील भी कर रही है - वे बिहार में रह रहे अपने घरवालों और रिश्तेदारों को बतायें कि आम आदमी पार्टी और बीजेपी की रेखा गुप्ता सरकार के कामकाज में कितना फर्क है. 

आम आदमी पार्टी का आइडिया तो अच्छा है, लेकिन लोगों की जो राय दिल्ली विधानसभा चुनाव के वक्त बनी थी, अगर वो अब भी नहीं बदली है, फिर तो अरविंद केजरीवाल को लेने के देने भी पड़ सकते हैं.

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आम आदमी पार्टी बिहार में अरविंद केजरीवाल के नाम पर कैंपेन तो चला रही है, लेकिन उनके उसमें शामिल होने की कम ही संभावना लगती है. फिलहाल ‘बिहार में भी केजरीवाल’ अभियान का नेतृत्व पार्टी के बिहार संयोजक राकेश यादव कर रहे हैं - और ये कैंपेन सात चरणों में पूरा होना है. 
  
हाल ही में खबर आई थी आम आदमी पार्टी ने आने वाले दो साल में होने जा रहे सभी विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रही है. बिहार से पंजाब तक. पंजाब में चुनाव 2027 में होने हैं. चुनावी तैयारियों के लिए चुनावी राज्यों को दो कैटेगरी में बांटा गया है. एक कैटेगरी वो है जिन राज्यों में अरविंद केजरीवाल खुद चुनाव कैंपेन को लीड करेंगे, लेकिन बिहार को दूसरे कैटेगरी में रखा गया है, जहां आम आदमी पार्टी स्थानीय नेताओं के भरोसे चुनाव लड़ेगी - बिहार में तो बिल्कुल वैसा ही हो रहा है. अरविंद केजरीवाल के नाम पर बिहार में कैंपेन चल रहा है, और वो पंजाब में लुधियाना वेस्ट उपचुनाव के मोर्चे पर डटे हुए हैं.  

दिल्ली में सपोर्ट लिया, लेकिन बिहार में नहीं

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को कांग्रेस के खिलाफ इंडिया ब्लॉक के दो राजनीतिक दलों का खुला सपोर्ट मिला था, लेकिन बिहार चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी विपक्षी गठबंधन के खिलाफ मैदान में कूदने जा रही है. दिल्ली चुनाव में अखिलेश यादव ने तो अरविंद केजरीवाल के पक्ष में कैंपेन भी किया था, और समाजवादी पार्टी के अलावा ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस का भी चुनाव में साथ मिला हुआ था. 

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आम आदमी पार्टी बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, और किसी भी राजनीतिक दल के साथ किसी तरह के भी गठबंधन न करने की घोषणा की गई है. 

जिस राजनीतिक पार्टी का दिल्ली में ही सबसे मजबूत आधार रहा हो, और वो वहीं सत्ता गंवा चुकी हो, और अब वही पार्टी एक 
ऐसे राज्य में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हो, जिसका कोई जातीय आधार नहीं है, तो फिर ऐसे चुनाव लड़ने का मकसद क्या समझा जाये?

बिहार चुनाव में आम आदमी पार्टी किसे टिकट देती है, देखना होगा. आम आदमी पार्टी भी प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की तरह ही चुनाव लड़ती है या कुछ अलग तरीके से, ये देखना भी दिलचस्प होगा. आगे क्या होगा, ये समझना बहुत मुश्किल भी नहीं है. जन सुराज पार्टी ने तो चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में 10 फीसदी वोट भी पाये थे, लेकिन उससे क्या होता है - आप आदमी पार्टी के संभावित उम्मीदवारों की भूमिका भी तो वोटकटवा जैसी ही होगी. 

किसी के साथ, और किसके खिलाफ

बिहार को लेकर अरविंद केजरीवाल, असल में, तेजस्वी यादव से भी नाराज हैं. कांग्रेस तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ ही रही थी, लेकिन तेजस्वी यादव ने अखिलेश यादव की तरह अरविंद केजरीवाल का साथ नहीं दिया था. हालांकि, वो किसी भी तरफ नहीं थे. आरजेडी ने दिल्ली चुनाव में इस बार तटस्थ भूमिका निभाई थी - लेकिन आम आदमी पार्टी अब ऐसा काम करने जा रही है, जिससे कांग्रेस के साथ साथ आरजेडी को भी डैमेज किया जा सके. और बिहार में सत्ता की दावेदार तो तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी ही है. 

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कहने को भले ही अरविंद केजरीवाल ने अपने लोगों को बीजेपी के खिलाफ कैंपेन में लगाया है, लेकिन तेजस्वी यादव और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाकर भला वो किसे फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, समझना कोई मुश्किल काम तो है नहीं. 

आम आदमी पार्टी के बिहार चुनाव कैंपेन में पहली कोशिश तो उन लोगों तक ही पहुंच बनाने की है, दिल्ली में जिनकी नाराजगी उसे भारी पड़ी है. अब दिल्ली से लेकर बिहार तक उनके घर पहुंचने की कवायद भी शुरू हो चुकी है - क्या ये सब दिल्ली के पूर्वांचली वोटर के गांव तक पहुंच कर माफी मांगने की कोशिश है?

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