18 मई 2025 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पीएसएलवी रॉकेट का तीसरा लॉन्च असफल हो गया. इसरो के चेयरमैन डॉ. वी नारायणन ने बताया कि रॉकेट के तीसरे चरण में दिक्कत आई. इसकी जांच शुरू हो गई है.
क्या हुआ?
पीएसएलवी रॉकेट के तीसरे चरण में एक ठोस मोटर होती है, जो केव्लार नाम के मजबूत कवर से ढकी होती है. इसरो को शक है कि यह कवर फट गया. साथ ही, तीसरे चरण के फ्लेक्स नोजल (जो रॉकेट की दिशा को नियंत्रित करता है) में भी खराबी आई. डॉ. नारायणन ने बताया कि तीसरे चरण में दबाव कम होने के संकेत मिले थे, जो कवर के फटने की वजह से हो सकता है. शायद कवर फटने और नोजल की खराबी आपस में जुड़े हैं.
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पीएसएलवी की तीसरी असफलता
यह पीएसएलवी का तीसरा असफल लॉन्च है. इसरो ने अब तक पीएसएलवी के 63 लॉन्च किए हैं, जिसमें से 59 सफल रहे, 1 आंशिक रूप से असफल रहा और 3 पूरी तरह असफल रहे. इसकी सफलता दर 94.44% है, जो बहुत अच्छी है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इतने कम लॉन्च में ऐसी असफलता ठीक नहीं है.
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इसरो के रॉकेट्स का प्रदर्शन
SLV-3: 1979-1983 के बीच 4 लॉन्च, 62.50% सफलता, अब रिटायर्ड.
ASLV: 1987-1994 के बीच 4 लॉन्च, 37.50% सफलता, अब रिटायर्ड.
PSLV: 1993 से अब तक 63 लॉन्च, 94.44% सफलता, सक्रिय.
GSLV: 2001 से 17 लॉन्च, 70.58% सफलता, सक्रिय.
LVM3 (GSLV Mk3): 2017 से 6 लॉन्च, 100% सफलता, सक्रिय.
SSLV: 2022 से 3 लॉन्च, 66.66% सफलता, सक्रिय.
कुल मिलाकर, इसरो के 97 लॉन्च में से 81 सफल रहे. कुल सफलता दर 86.08% है.
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आगे क्या?
इसरो अब इस असफलता की जांच कर रहा है. डॉ. नारायणन ने कहा कि वे जल्दी ही इसकी वजह पता करेंगे और भविष्य में ऐसी गलतियों से बचेंगे. पीएसएलवी भारत का सबसे भरोसेमंद रॉकेट रहा है. इसरो इसे और बेहतर बनाना चाहता है. भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया में मशहूर है. इसरो जल्द ही इस कमी को दूर कर फिर से नई ऊंचाइयों को छुएगा.