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क्यों फेल हुआ ISRO का रॉकेट... जानिए PSLV और अन्य रॉकेट्स का ट्रैक रिकॉर्ड

ISRO के पीएसएलवी रॉकेट का तीसरा लॉन्च 18 मई 2025 को असफल रहा. तीसरे चरण में केव्लार कवर के फटने और फ्लेक्स नोजल की खराबी की जांच चल रही है. यह पीएसएलवी की तीसरी असफलता है, जिसकी सफलता दर 94.44% है. इसरो के कुल 97 लॉन्च में 86.08% सफल रहे.

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श्रीहरिकोटा में मौजूद लॉन्च पैड पर तैनात  PSLV रॉकेट. (फाइल फोटोः PTI)
श्रीहरिकोटा में मौजूद लॉन्च पैड पर तैनात PSLV रॉकेट. (फाइल फोटोः PTI)

18 मई 2025 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पीएसएलवी रॉकेट का तीसरा लॉन्च असफल हो गया. इसरो के चेयरमैन डॉ. वी नारायणन ने बताया कि रॉकेट के तीसरे चरण में दिक्कत आई. इसकी जांच शुरू हो गई है. 

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क्या हुआ?

पीएसएलवी रॉकेट के तीसरे चरण में एक ठोस मोटर होती है, जो केव्लार नाम के मजबूत कवर से ढकी होती है. इसरो को शक है कि यह कवर फट गया. साथ ही, तीसरे चरण के फ्लेक्स नोजल (जो रॉकेट की दिशा को नियंत्रित करता है) में भी खराबी आई. डॉ. नारायणन ने बताया कि तीसरे चरण में दबाव कम होने के संकेत मिले थे, जो कवर के फटने की वजह से हो सकता है. शायद कवर फटने और नोजल की खराबी आपस में जुड़े हैं.

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पीएसएलवी की तीसरी असफलता

यह पीएसएलवी का तीसरा असफल लॉन्च है. इसरो ने अब तक पीएसएलवी के 63 लॉन्च किए हैं, जिसमें से 59 सफल रहे, 1 आंशिक रूप से असफल रहा और 3 पूरी तरह असफल रहे. इसकी सफलता दर 94.44% है, जो बहुत अच्छी है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इतने कम लॉन्च में ऐसी असफलता ठीक नहीं है.

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 Why ISROs rocket failed

इसरो के रॉकेट्स का प्रदर्शन

SLV-3: 1979-1983 के बीच 4 लॉन्च, 62.50% सफलता, अब रिटायर्ड.
ASLV: 1987-1994 के बीच 4 लॉन्च, 37.50% सफलता, अब रिटायर्ड.
PSLV: 1993 से अब तक 63 लॉन्च, 94.44% सफलता, सक्रिय.
GSLV: 2001 से 17 लॉन्च, 70.58% सफलता, सक्रिय.
LVM3 (GSLV Mk3): 2017 से 6 लॉन्च, 100% सफलता, सक्रिय.
SSLV: 2022 से 3 लॉन्च, 66.66% सफलता, सक्रिय.

कुल मिलाकर, इसरो के 97 लॉन्च में से 81 सफल रहे. कुल सफलता दर 86.08% है.

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 Why ISROs rocket failed

आगे क्या?

इसरो अब इस असफलता की जांच कर रहा है. डॉ. नारायणन ने कहा कि वे जल्दी ही इसकी वजह पता करेंगे और भविष्य में ऐसी गलतियों से बचेंगे. पीएसएलवी भारत का सबसे भरोसेमंद रॉकेट रहा है. इसरो इसे और बेहतर बनाना चाहता है. भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया में मशहूर है. इसरो जल्द ही इस कमी को दूर कर फिर से नई ऊंचाइयों को छुएगा.

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