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BrahMos hit Bulls Eye: अंडमान में हुए ब्रह्मोस मिसाइल के परीक्षण की सटीकता देखिए... ऐसे ही PAK की धज्जियां उड़ाई थीं

अंडमान सागर से BrahMos के विस्तारित रेंज (Extended Range) संस्करण का परीक्षण किया गया, जिसमें इसने बिना वॉरहेड के वर्टिकल स्टीप डाइव मोड में लक्ष्य को सटीकता से भेदा. यह क्षमता इसे पहाड़ी इलाकों और छिपे हुए ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम बनाती है.

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ब्रह्मोस लॉन्च होने के बाद अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में बनाए गए टारगेट पर एकदम सटीकता से गिरा. (फाइल फोटोः X/Andaman-Nicobar Command)
ब्रह्मोस लॉन्च होने के बाद अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में बनाए गए टारगेट पर एकदम सटीकता से गिरा. (फाइल फोटोः X/Andaman-Nicobar Command)
  • ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ने अंडमान सागर से विस्तारित रेंज के साथ सटीक निशाना साधा.  
  • मिसाइल ने बिना वारहेड के वर्टिकल स्टीप डाइव मोड में लक्ष्य को भेदा.  
  • यह क्षमता पहाड़ी इलाकों और छिपे हुए ठिकानों को निशाना बनाने के लिए महत्वपूर्ण है.  
  • ब्रह्मोस की गति, सटीकता और बहुमुखी प्रतिभा इसे दुनिया का सबसे घातक क्रूज मिसाइल बनाती है.  
  • भारत और रूस की संयुक्त साझेदारी, ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने इसे विकसित किया.

भारत ने अंडमान सागर से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के विस्तारित रेंज (Extended Range) वाले संस्करण का सफल परीक्षण किया. इस परीक्षण में मिसाइल ने बिना वारहेड के वर्टिकल स्टीप डाइव (90 डिग्री कोण पर गोता) मोड में लक्ष्य को सटीकता से भेदा. यह उपलब्धि भारत की रक्षा क्षमता को और मजबूत करती है, खासकर पहाड़ी इलाकों और छिपे हुए ठिकानों को निशाना बनाने में. इस मिसाइल ने इसी तरह से पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को बर्बाद किया था. 

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ब्रह्मोस मिसाइल क्या है?

ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस ने मिलकर बनाया है. 1998 में स्थापित ब्रह्मोस एयरोस्पेस इस परियोजना का नेतृत्व करता है. इसका पहला परीक्षण 2001 में हुआ था. तब से यह भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना में शामिल हो चुकी है.

  • गति: मैक 2.8-3.5 (लगभग 3430-4300 किमी/घंटा).  
  • रेंज: सामान्य संस्करण में 290 किमी, विस्तारित रेंज में 450-800 किमी.  
  • वॉरहेड: 200-300 किलोग्राम (पारंपरिक या परमाणु).  
  • लॉन्च प्लेटफॉर्म: जमीन, समुद्र, हवा (सुखोई-30 MKI) और पनडुब्बी.  
  • विशेषताएं: ‘फायर एंड फॉरगेट’ सिद्धांत, कम रडार सिग्नेचर और सटीक निशाना.

ब्रह्मोस का डिज़ाइन रूस की P-800 ओनिक्स मिसाइल पर आधारित है, लेकिन इसमें भारतीय तकनीक और मार्गदर्शन प्रणाली शामिल की गई है. यह मिसाइल अपनी तेज गति और सटीकता के कारण दुश्मन के रक्षा तंत्र को भेदने में सक्षम है.  

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वर्टिकल स्टीप डाइव मोड क्या है?

वर्टिकल स्टीप डाइव मोड ब्रह्मोस की एक खास क्षमता है, जिसमें मिसाइल लगभग 90 डिग्री के कोण पर लक्ष्य की ओर गोता लगाती है. यह तकनीक इसे पहाड़ी इलाकों, गुफाओं और छिपे हुए ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम बनाती है. सामान्य क्रूज मिसाइलें समतल या कम कोण पर उड़ती हैं, लेकिन स्टीप डाइव मोड में मिसाइल ऊपर से सीधे लक्ष्य पर हमला करती है, जिससे बचाव मुश्किल हो जाता है.  

5 सितंबर 2010 को ब्रह्मोस ने पहली बार सुपरसोनिक गति में स्टीप-डाइव मोड का विश्व रिकॉर्ड बनाया था. तब से इसकी क्षमता को और उन्नत किया गया है. अब यह 90 डिग्री तक गोता लगा सकती है. हाल के परीक्षण में, अंडमान सागर से लॉन्च की गई मिसाइल ने बिना वारहेड के लक्ष्य को सटीकता से भेदा, जो इसकी उन्नत मार्गदर्शन प्रणाली और सटीकता को दर्शाता है.  

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टेस्ट का महत्व

  • पिनपॉइंट सटीकता: मिसाइल ने लक्ष्य को बुल्स-आई सटीकता (1 मीटर CEP) के साथ नष्ट किया, जो इसकी विश्वसनीयता को दर्शाता है.  
  • विस्तारित रेंज: भारत के 2016 में मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजिम (MTCR) में शामिल होने के बाद, ब्रह्मोस की रेंज 290 किमी से बढ़कर 450-800 किमी हो गई है.   
  • पहाड़ी इलाकों में प्रभावी: स्टीप डाइव मोड इसे पहाड़ी क्षेत्रों में छिपे ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम बनाता है, जो भारत की पूर्वोत्तर सीमाओं, जैसे अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. 
  • आत्मनिर्भरता: यह टेस्ट भारत के स्वदेशी रक्षा उद्योग की ताकत को दर्शाता है, जिसमें उन्नत नेविगेशन सिस्टम और सॉफ्टवेयर शामिल हैं.

अंडमान सागर में टेस्ट क्यों?

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अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत का एक रणनीतिक क्षेत्र है, जो हिंद महासागर में महत्वपूर्ण है. यहां लंबी दूरी का टेस्ट रेंज उपलब्ध है, जो मुख्य भूमि पर सीमित है. 2014 और 2022 में भी अंडमान सागर से ब्रह्मोस का टेस्ट किया गया, जिसमें इसने 290 किमी की दूरी पर लक्ष्य को सटीकता से नष्ट किया. इस बार बिना वारहेड के टेस्ट ने मिसाइल की सटीकता और विश्वसनीयता को फिर से साबित किया.  

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रणनीतिक महत्व

  • चीन और पाकिस्तान के लिए जवाबी क्षमता: विस्तारित रेंज के साथ, ब्रह्मोस अब पाकिस्तान और चीन के गहरे क्षेत्रों में लक्ष्य को नष्ट कर सकती है, जिससे भारत की जवाबी हमले की क्षमता बढ़ती है. 
  • पहाड़ी युद्ध के लिए उपयोगी: अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख जैसे क्षेत्रों में, जहां दुश्मन छिपे हुए ठिकानों का उपयोग कर सकते हैं, स्टीप डाइव मोड इसे प्रभावी बनाता है.  
  • नौसेना की ताकत: भारतीय नौसेना के युद्धपोत, जैसे INS राजपूत और INS तेग, ब्रह्मोस से लैस हैं, जो समुद्र और जमीन दोनों पर लक्ष्य को नष्ट कर सकते हैं.  
  • ऑपरेशन सिंदूर: मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस का उपयोग किया गया, जिसमें पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर सटीक हमले किए गए. 

भविष्य की योजनाएं

90-डिग्री स्टीप डाइव: ब्रह्मोस जल्द ही 90-डिग्री स्टीप डाइव क्षमता हासिल कर लेगी, जो इसे और घातक बनाएगी. 

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ब्रह्मोस-एनजी और ब्रह्मोस-II: हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-II (मैक 7-8) और हल्की ब्रह्मोस-एनजी का विकास जारी है, जो तेजस जैसे हल्के लड़ाकू विमानों से लॉन्च की जा सकेगी.  

निर्यात की संभावना: भारत वियतनाम, यूएई और अन्य देशों को ब्रह्मोस निर्यात करने की योजना बना रहा है.

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